समाज के कुछ खास वर्गों को छोड़कर सभी वर्गों को निराश करने वाला बजट है- त्रिभुवन फर्त्याल

समाज के कुछ खास वर्गों को छोड़कर सभी वर्गों को निराश करने वाला बजट है- त्रिभुवन फर्त्याल

समाज के कुछ खास वर्गों को छोड़कर सभी वर्गों को निराश करने वाला बजट है- त्रिभुवन फर्त्याल

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न्यूज़ डेस्क , नैनीताल ( nainilive.com )- आज पेश केंद्रीय बजट में समाज के हर वर्ग की अपनी – प्रतिक्रिया आ रही है. कुछ को बजट अप्रत्याशित तो कुछ को बजट निराशाजनक लग रहा है. वहीँ उत्तराखंड कांग्रेस के पूर्व प्रदेश सचिव एवं क्षेत्र पंचायत सदस्य त्रिभुवन फर्त्याल ने केंद्र सरकार द्वारा पेश बजट को जनता के साथ छलावा और निराशाजनक बताया है।

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उन्होंने कहा , केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा पेश बजट से उत्तराखंड पर्वतीय राज्य को बेहद उम्मीद थी। उत्तराखंड राज्य जिसका लगभग 71% भूभाग वन आच्छादित हैं एवं जो राज्य लगभग 90,000 करोड़ प्रतिवर्ष वन आधारित सेवा प्रदान करता हैं,इस हेतु ग्रीन बोनस का कोई जिक्र इस बजट में ना होना राज्य की जनता के हक हकूक के साथ छलावा है। वह भी तब जबकि राज्य सरकार के नुमाइंदे केंद्र में इस संदर्भ में पैरवी कर रहे थे। इस बजट से पर्वतीय सीमांत काश्तकारों को भी निराशा हाथ लगी हैं। काश्तकार वर्ग के०सी०सी (किसान क्रेडिट कार्ड) में ऋण को ब्याज मुक्त की माँग कर रहा था, ना ही इस का उल्लेख किया गया और ना ही अपेक्षित ऋण सीमा को बढ़ाया गया, जिससे काश्तकार वर्ग स्वयं को ठगा सा महसूस कर रहा हैं।

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खेती किसानी की गतिविधियों को मनरेगा से संबंधित कर काश्तकारों की लागत को कुछ कम किया जा सकता था, लेकिन इस संदर्भ में भी मा० वित्त मंत्री जी चूक हुई।उम्मीद की जा रही थी कि केंद्रीय पोषित योजनाओं में केंद्रांश में वृद्धि होगी,लेकिन इस दिशा में भी राज्य की जनता सहित राज्य सरकार को मायूसी हाथ लगी। छोटे एवं मझोले स्तर के व्यापारी विशेषकर कोविड-19 की पृष्ठभूमि में राहत पैकेज की उम्मीद कर रहे थे। ना ही कोई राहत पैकेज की घोषणा, ना ही टैक्स स्लैब में कोई बदलाव किया गया और ना ही जीएसटी की दरों में कोई संशोधन,यह स्थिति खीझ उत्पन्न करती हैं।

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पेट्रोल में ढाई रुपए प्रति लीटर जबकि डीजल में ₹4 प्रति लीटर कृषि सेस के नाम पर वृद्धि पूर्व में ही बढ़ती महंगाई को और अधिक विकराल बनाऐगी। सरकारी संपत्तियों की नीलामी का सिलसिला बदस्तूर जारी रखकर ,वित्त मंत्री ने सरकार की मंशा परिलक्षित किया हैं। उत्तराखंड राज्य की सीमा जो कि चीन, नेपाल आदि की सीमाओं से लगी होने के चलते सीमांत क्षेत्रों हेतु विशेष बजट की दरकार थी। किंतु राष्ट्रीय सुरक्षा एवं सामरिक महत्व के इस विषय का भी बजट में कोई उल्लेख ना होना डबल इंजन सरकार की संवेदनशीलता को प्रतिबिंबित करती है।

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पलायन के दर्द से कराह रहे उत्तराखंड पर्वतीय राज्य के युवाओं के लिए कोई भी कोई विशेष राहत पैकेज का जिक्र इस बजट में नहीं किया गया है, जिससे पहाड़ का युवा खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है। कुल मिलाकर यह बजट उत्तराखंड राज्य के परिपेक्ष में बेहद निराशाजनक एवं उदासीन बजट हैं,जिसमें ना ही महिलाओं के लिए, ना ही युवाओं के लिए और ना ही समाज के अन्य वर्गों के लिए कोई खास व्यवस्था की गई हैं। समाज के कुछ खास वर्गों को छोड़कर सभी वर्गों को निराश करने वाला बजट है।

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