आठ घंटे से ज्यादा काम करने पर भी नहीं मिलेगी एक्स्ट्रा सैलरी

Share this! (ख़बर साझा करें)

नई दिल्ली (nainilive.com)- हाल ही में खबर आई थी कि सरकार काम के घंटे बढ़ाने का प्लान कर रही है. बता दें कि फिलहाल स्टैंडर्ड नियम 8 घंटे काम का है. इसी के आधार पर कर्मचारी की सैलरी तय होती है. काम के घंटे बढ़ाए जाने को लेकर विचार किया जा रहा है. इसी के साथ हई यह बहस भी तेज हो रही है कि काम के घंटे बढ़ने के साथ क्या सैलरी पर असर पड़ेगा.

मानक नियम के मुताबिक, किसी भी कर्मचारी या वर्कर की सैलरी इस आधार पर तय होती है कि उसने 8 घंटे दफ्तर में काम किया. दैनिक वेतन को 8 से विभाजित कर घंटे की सैलरी निकाली जाती है और उसे 26 से गुणा कर महीने की सैलरी का आकलन किया जाता है. 30 दिन के महीने में 4 दिन आराम के अवकाश के माने जाते हैं. लेबर मंत्रालय के प्रिलिमिनरी ड्राफ्ट में कुछ नई बातें कही गईं, जिससे काम के घंटे बढ़ सकते हैं.

ड्राफ्ट प्रपोजल के मुताबिक वर्किंग-डे कम से कम 9 घंटे लंबा हो सकता है. इससे नियोक्ता अपने कर्मचारियों से ज्यादा काम ले सकेंगे. इतना ही नहीं, एम्प्लॉयर जरूरत के समय इसे बढ़ाकर 12 भी कर सकते हैं. इसका सीधा अर्थ यह है कि एम्प्लयॉर कर्मचारी से घंटे की सैलरी के हिसाब से काम करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं. इसके अलावा, खास श्रेणी के कर्मी, जो इमर्जेंसी ड्यूटी या प्रीपरेटरी वर्क में लगे हों, उनका वर्क-डे 16 घंटे तक का भी हो सकता है.

लेबर मंत्रालय द्वारा पेश किए गए ड्राफ्ट में 9 घंटे से ज्यादा काम के लिए ओवरटाइम का कोई जिक्र नहीं किया गया है. न्यूनतम मजदूरी (सेंट्रल रूल्स) ऐक्ट 1950 के मुताबिक, 9 घंटे से ज्यादा काम लेने पर हर साधारण मजदूरी से 150-200% की दर से ज्यादा सैलरी का प्रावधान है. ड्राफ्ट में सिर्फ उन कर्मियों को ओवरटाइम पेमेंट का जिक्र किया गया है जो छुट्टी के दिन काम करते हैं. पूरे देश में देखा जाए तो अलग-अलग राज्यों में न्यूनतम वेतन में काफी अंतर है. नगालैंड में जहां यह 115 रुपये है, वहीं केरल में 1,192 रुपये है. ये दरें एंप्लॉयमेंट की कैटिगरी पर निर्भर करती हैं.

प्रस्तावित ड्राफ्ट के मुताबिक, न्यूनतम वेतन भौगोलिक आधार पर किया जाए, जिसके लिए तीन कैटिगरीज होंगी- महानगर, नॉन-मेट्रो सिटीज और ग्रामीण इलाके. हालांकि, वेतन की गणना के तरीके में कोई अंतर नहीं होगा. इस क्राइटीरिया के तहत रोजाना कैलरी इनटेक 2700, 4 सदस्यों वाले परिवार के लिए सालाना 66 मीटर कपड़ा, खाने और कपड़ों पर खर्च का 10% हिस्सा मकान का किराया, यूटिलिटी पर न्यूनतम वेतन का 20% खर्च और शिक्षा पर 25% खर्च का हिसाब होगा.

नैनी लाइव (Naini Live) के साथ सोशल मीडिया में जुड़ कर नवीन ताज़ा समाचारों को प्राप्त करें। समाचार प्राप्त करने के लिए हमसे जुड़ें -

👉 Join our WhatsApp Group

👉 Subscribe our YouTube Channel

👉 Like our Facebook Page